Monday, March 26, 2012

नयनन छवि, पी की बसे मोरे रामा ...

नयनन छवि, पी की बसे मोरे रामा ...
धरम कहे, मति हरि संग जोडूँ 
सदगति, सतफल  पाऊं ....
करम कहे बस जगतहीं उलझूं    ..
व्यर्थ न मन भरमाऊं ..

मन जोगी सुध कोई न ले जोई
पी परे कोई न कामा ssss...
नयनन छवि, पी की बसे मोरे रामा ...!

दिन बीते पथ इक टुक  तकते
निशि बीते सपनाहीं ......
काल -पहर सब बीतत जैहें ...
पीऊ पर आवत नाही ....

हरि विनती मुख कौन करूँ जिस
मुख पीऊ आठों यामाssss ....
नयनन छवि, पी की बसे मोरे रामा !!

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आस्था -अनास्था ,सफलता और संघर्ष के निरंतर  द्वन्द से गुजरते हुए बस एक ही संबल होता है मेरा .... यह गीत उसी दिव्य और पवित्र विश्वास को समर्पित है.
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