Sunday, October 3, 2010

उस रात तुम्हारे आने का ...


उस रात
तुम्हारे आने का
इमकान हुआ था जब मुझको ....

मैंने झट से उफक की छत पर
टांगा था एक चाँद नया ,
और बादल के एक फाहे से
फिर आसमान को साफ़ किया ....

उस रोज सितारों की ऊपर ..
एक झिलमिल चादर टाँगी थी ,
और पुरवाई से चुपके से
भीनी सी खुशबू मांगी थी ..

कि आओगे और भर लोगे
तुम मुझको अपनी बांहों में
और शब् सारी शब् थिरकेगी ...
पाजेब पहन के पांवों में ...

अठ -खेली होगी अपनी ..
जगते ख्वाबों की बस्ती में ...
दूर फलक के पार चलेंगे
पूनम की सुनहरी कश्ती में ....

देखो हर रात यूँ ही ..
तेरी आमद की ख्वाहिश में
मैं घर को सजाता रहता हूँ
और दिल को दिलासा देता हूँ ...
तुम आओगे ...बस चल ही दिए ..
रस्ते में हो ...अब पहुंचोगे ...

उस रात
तुम्हारे आने का
इमकान हुआ था जब मुझको ....

17 comments:

Anonymous said...

chaliye....vo nahin unki justuju hi sahi.....
kam se kam ham jaise tanha chat par bhatakne waalon ko, falaq to saja hua dikhne milta hai ;)

bohot bohot sundar

tum interior decoration mein kyun nahin chale jaate buddy :D

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मैंने झट से उफक की छत पर
टांगा था एक चाँद नया ,
और बादल के एक फाहे से
फिर आसमान को साफ़ किया

बहुत सुन्दर ....बाकी पर टिप्पणियाँ तब जब तुम वर्ड वेरिफिकेशन हटा लोगे ..



कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

Avinash Chandra said...

koi hai jo chhup chhup ke likhe jaa raha hai :)

too good

दिपाली "आब" said...

कि आओगे और भर लोगे
तुम मुझको अपनी बांहों में
और शब् सारी शब् थिरकेगी ...
पाजेब पहन के पांवों में ...
Mujhe is nazm mein bas ye hissa accha laga. Isi ke liye badhai..hehe

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

http://charchamanch.blogspot.com/

हरकीरत ' हीर' said...

देखो न हर रात यूँ ही ..
तेरी आमद की ख्वाहिश में
मैं घर को सजाता रहता हूँ
और दिल को दिलासा देता हूँ ...
तुम आओगे ...बस चल ही दिए ..
रस्ते में हो ...अब पहुंचोगे ...

क्या बात है .....!!
मैं तो यूँ ही चली आई थी इधर और खूबसूरत फलक पे टंगी मिली ....
शुक्रिया ....लिखते रहे ....

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति

vandana gupta said...

क्या बात कही है …………एक सपने के संसार मे ले गये।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/19-297.html

यहाँ भी आयें .

Dr Xitija Singh said...

bahut khoobsurat nazm .... achha laga aapko padh ke aage bhi padhna chahungi ... follow kiye ja rahi hoon...

अनामिका की सदायें ...... said...

वाह बहुत दिनों बाद तुम पढ़ने को मिले..और पुराणी तुम्हारी लेखनी की खुशबु याद आ गयी. बहुत सुंदर रचना.
बधाई.

monali said...

Dreamy.. i toh simply loved da poem.. 'll wait for ur new poem... :)

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन...बधाई.

Ravi Shankar said...

आप सब सुधी पाठकों क बहुत धन्यवाद ! अस्वस्थता के कारण कुछ दिन यहाँ आने में असमर्थ रहा इस के लिये माफ़ी चाहता हूँ !

डिम्पल मल्होत्रा said...

गुलज़ाराना :-)

Ravi Shankar said...

bahut badi baat kah di aapne, Dimple ji ! Itni kaabiliyat nahi abhi... shukriya aapka !

Khushboo Sharma said...

bahut dino k baad tumhari ye nazm padhi.......maza aa gaya :)))

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